Pushyabhuti Vansh
लास्ट आर्टिकल में हमने बात की थी गुप्त वंश की।गुप्त वंश के बाद भारत में बहोत सारे छोटे-बड़े वंशो की स्थापना हुए।जिसमे थानेश्वर में पुष्पभूति नामके व्यक्ति ने “पुष्पभूति वंश” की स्थापना की और इस पुष्पभूति वंश में एक महान और पराक्रमी शासक “हर्षवर्धन” आया था।इसी लिए पुष्पभूति वंश को दूसरे “वर्धक वंश” के नाम से जाना जाता है।
पुष्पभूति वंश की स्थापना की थी “पुष्पभूति” ने और पुष्पभूति वंश की राजधानी थी “थानेश्वर“(आज का हरियाणा प्रदेश)।पुष्पभूति के बाद गद्दी पर आता है “नंदवर्धन“।नंदवर्धन के बाद गद्दी पर आता है “राज्यवर्धन“।राज्यवर्धन के बाद आता है “आदित्यवर्धन“।आदित्यवर्धन के बाद गद्दी पर आता है “प्रभाकरवर्धन“।
प्रभाकरवर्धन
- प्रभाकरवर्धन “महाधिराज” की उपाधि प्राप्त करते है।
- प्रभाकरवर्धन की पत्नी का नाम “यशोमति” था।
- इस यशोमति को पुत्र और एक पुत्री होती है।जिसमे बड़े बेटे का नाम “राज्यवर्धन” और छोटे बेटे का नाम “हर्षवर्धन” था ।पुत्री का नाम “राज्यश्री” था।
- राज्यश्री का विवाह मौखरि वंश के राजा “ग्रहवर्मन” के साथ किया गया है।
इस समय मड़वा में शासन होता है “देवगुप्त” का।ये देवगुप्त ग्रहवर्मन की हत्या करके उनकी पत्नी राज्यश्री को कैद कर देता है।इस समय हर्षवर्धन छोटा था इसलिए राजयश्री को बचाने की जिम्मेदारी “राज्यगुप्त” पर आती है।इसलिए राज्यवर्धन देगुप्त की हत्या करते है।
लेकिन देवगुप्त का जिगरी मित्र गोंड राज्य का राजा “शशांक” था।इसलिये शशांकने अपने मित्र का बदला लेने के लिए राज्यवर्धन को मंत्रणा के बहाने बुलाकर हत्या करदी और कन्नौज पर कबजा कर लिया। अब हर्षवर्धन पर अपना राज्य थानेश्वर और अपनी बहन का राज्य कन्नौज दोनों की जवाबदारी आ पड़ी।
हर्षवर्धन

harshvardhan king
- समय : इ.स ६०६ से इ.स ६४७
- बिरुद :दानवीर ,शिलादित्य
- हर्षवर्धन आसाम के राजा “भास्करवर्मा” के साथ मैत्रीपूर्ण सबंध बांधकर शशांक पर आक्रमण करते है।
- शशांक को हराकर अपनी बहन “राज्यश्री” को कैद से मुक्त करते है।
- अब हर्षवर्धन “कन्नौज” को अपनी राजधानी बनाते है और थानेश्वर का संचालन भी कन्नौज से करते है।
- हर्षवर्धन अपनी पुत्री का विवाह गुजरात के वलभीके मैत्रक वंश के राजा ध्रुवसेन दूसरे के साथ करते है।
- हर्षवर्धन ने मगध और भाष्कर वर्मा के साथ मित्रता करके बंगाल और पूर्व भारत के अनेक राज्य जित लेते है।अब हर्षवर्धन दक्षिण भारत की और अपनी कूच करते है।
- दक्षिण भारत में चालुक्य वंश का राज होता है जिसमे “पुलकेशी दूसरा” का शाशन होता है।इस पुलकेशी दूसरा और हर्षवर्धन का नर्मदा नदी के तट पर युद्ध होता है जिसमे हर्षवर्धन की भयंकर हर होती है।
- हर्षवर्धन अपनी दिनचर्या को तीन भाग में बेचा था।प्रथम भाग था वहीवटीतंत्र ,दूसरा भाग था प्रजा कल्याण,और तीसरा भाग था धार्मिक कार्य।
- हर्षवर्धन हर ५ साल प्रयाग(अलहाबाद) में धर्मपरिषद का आयोजन करता है जिसमे विद्वानों को दान-दक्षिणा और कलाकारों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
- हर्षवर्धन के समय में चीनी यात्री “हु-ऍन-सांग” भारत आते है जिन्होंने हर्षवर्धन के दरबार की मुलाकात ली थी और सी-यु-की ग्रन्थ की रचना की थी।
- इ.स ६४७ में हर्षवर्धन की मित्यु होती है और इस “हर्षवर्धन” को प्राचीन इतिहास का आखरी महान सम्राट मन जाता है।
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हर्षवर्धन के दरबारी कवी
- बाणभट्ट :जिन्होंने हर्षचरित और कादंबरी पुस्तक लिखी।
- मयूरभट्ट: मयूर शतक ग्रन्थ लिखा|
- कवी भट्टी =रावण वध पुष्तक लिखा|
- राजा हर्षवर्धन =पिर्यदर्शन,नागानंद,रत्नावली|