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सोमनाथ मंदिर का इतिहास | History Of Somnath Temple in Hindi

somnath temple history
Written by Kishan Patel

सोमनाथ मंदिर किसने और क्यों बनाया?(Somnath temple History)

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  • प्राचीन ग्रंथो के अनुसार दक्ष प्रजापति को २७ कन्या थी और सब कन्या का विवाह चंद्र के साथ किया गया था।
  • उन कन्या मेसे “रोहिणी” नामकी कन्या ज्यादा सुन्दर और आकर्षक थी और चंद्र उसे सभी पत्नियों मेसे ज्यादा प्यार और सन्मान करते थे।
  • यह अन्याय देख बाकि कन्याने दक्ष प्रजापति से चंद्र की शिकायत की। इस वजह से दक्ष प्रजापतीने चन्द्र को समझाया लेकिन चंद्र माने नहीं।
  • चंद्र का इस दूरव्यव्हार को देख दक्ष प्रजापति गुस्सा हो गए और उन्होंने चंद्र को श्राप दिया की “आज से चंद्र का तेज कम होता जायेगा“।
  • चंद्र को श्राप मिलते देख सारे देवी-देवता दर जाते है और इस्का निवारण करने के लिए वह ब्रम्हा के पास जाते है।
  • ब्रम्हा श्राप के निवारण के लिए चंद्र को शिव आराधना करनेका सुझाव देते है।
  • चंद्र गुजरात के दक्षिणी भाग मे स्थित “प्रभाष पाटन”(गिर सोमनाथ) में शिवलिंग की स्थापना करके आराधना करते है ।
  • चंद्र की आराधना देख शिव प्रस्सन होते है और शिवलिंग को अपना ज्योतिर्लिंग प्रदान कर चंद्र के नाम से वह शिवलिंग को “सोमनाथ” नाम देते है ।
  • शिव चंद्र को श्राप मुक्त करके कहते है “पहले १५ दिन चंद्र का तेज काम होगा और बाकि के १५ दिन चंद्र का तेज बढ़ता जायेगा”

सोमनाथ पर हुए हमले और समारकाम

  • इ.स ६४९ मे वलभीपुरके मैत्रक वंश के राजाओं ने सोमनाथ का समारकाम किया।
  • जो इ.स ७२५ मे सिंध के मुश्लिम सूबेदार अल -जुनैद ने सोमनाथ मंदिर को तोडा।
  • इ.स ८१५ में प्रतिहार वंश के राजा नागभट्ट द्रारा सोमनाथ को फिर से खड़ा किया।

alberuniएकबार अफघान से एक यात्री भारत दर्शन के लिए आते है जिनका नाम “अल-बिरूनी” था। वह भारत दर्शन के दौरान सोमनाथ की समृद्धि का वर्णन अपनी पुष्तक में लिखकर अफघान ले जाते है।वह पुष्तक अफघान के सुल्तान “महमूद गजनवी” पढ़ते है और उन्हें सोमनाथ मंदिर को लूँटने का ख्याल आता है।

mahmud ghaznavi

  • इ.स १०२४ में महमूद गजनवी अपने ५ हजार साथिओ के साथ भारत आते है। और २५ हजार लोगो को मारके सोमनाथ लूंट लेते है।
  • जब महमूद गजनवी भारत आये तब भीमदेव प्रथम यानिकि सोलंकी वंश का शासन था। और भीमदेव प्रथम महमूद गजनवी से लड़ने के लिए कच्छ में स्तिथ कन्थकोट के डूंगर में अपनी रणनीति बनाने के लिए आश्रय लेते है।
  • महमूद गजनवी के चले जाने के बाद भीमदेव प्रथम सोमनाथ मंदिर को लकड़ि का बनवाते है।
  • इस लकडीके मंदिर को इ.स ११६८मे विश्वेश्वर कुमारपाड़ पथ्थरों का बनवाते है।




सोलंकी वंश के बाद आता है वाघेला वंश और इस वाघेला वंश के अंतिम साशक है कर्णदेव वाघेला।कर्णदेव वाघेला अपने मंत्री माधवराय की पत्नी के प्रेम में पड़ते है और इशका बदला लेने के लिए माधवराय दिल्ली के सुल्तान “अल्लाउदीन खिलजी” को गुजरात लूँटने का आमत्रण देते है । अलाउदीन खिलजी पद्मावती देवी के लिए चितोड़ जितने मे मग्न थे इशलिये वह अपने दो सरदार को गुजरात लूँटने के लिए भेजता है।

  • इ.स १२९७ में अलाउदीन खिलाजीके दो सरदार १)उलुगखां २)नुसरतखां गुजरात लूँटने आते है।
  • ये दो सरदार पाटन के साथ सूरत,खम्भात और सोमनाथ मंदिरको भी लूंट कर तोड़ देता है जिसे बचाने के चक्कर में माधवराय की मोत हो जाती है।

इस तरह ये सिलसिला चलता रहता है हिन्दू राजा सोमनाथ को नया बनवाते है और मुस्लिम सुल्तान उष्को तोड़ देते है।इ.स १३९५ में गुजरात के सुल्तान मुज्जफरशाह ने सोमनाथ को लुँटा फिर उनके बेटे अहमदशाह ने इ.स १४१३ मे सोमनाथ को लुँटा।समय बीतता जाता है और दिल्ली पर मुग़ल शासन आता है मुग़ल के अंतिम शक्तिसाली “ओरंगजेब” गद्दी पर आते है।

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  • दिल्ली की गद्दी पर आये ओरंगजेब हिन्दू धर्म के कट्टर विरोदी थे उन्होंने इ.स १६६५ में सोमनाथ मंदिर तो लुँटा।
  • सोमनाथ लूंटे के बाद भी वहा पूजा होते देखा ओरंगजेब ने इ.स १७०६ में बचा-कुचा सोमनाथ मंदिर को भी तोड़ दिया।
  • मुग़ल साम्राज्य के बाद मराठा साम्राज्य आया और इ.स १७८३ मे इंदौर कि रानी “अहल्याबाई” ने पूजा-अर्चना करने के लिए सोमनाथ मंदिर के दूर दूसरा छोटा मंदिर बनवाया।
  • ओरंगजेब के मंदिर तोड़ने के बाद सोमनाथ खण्डेर रहता है जब तक हमें आजादी नहीं मिलती।

आजादी के बाद का सोमनाथ

१३ नवम्बर १९४७ के दिन सरदार वल्ल्भभाई पटेल,जाम दिग्विजयसिह ,सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उछंगराय ढेबर ,श्री कनैयालाल मुनसी और काका साहेब गाडगिल प्रभास पाटन जाकर सोमनाथ मंदिर के अवशेषो के दर्शन करते है।सोमनाथ के इस हालत को देख वल्ल्भभाई पटेल का मन विचलित हो जाता है और वह सोमनाथ मंदिर को फिरसे बनाने की प्रतिज्ञा करते है।

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  • ८ में १९५० के दिन राजा दिग्विजयसिह सोमनाथ के प्रथम आधारसिला रखते है।
  • ११ में १९५१ के भारत के प्रथम राष्ट्रपति “डॉ राजेंद्र प्रशाद” मन्दिर मे शिवलिंग की स्थापना करते है।और इ.स १९६२ तक सोमनाथ बनकर तैयार हो जाता है।
  • १९७० में जामनगर की राजमाता अपने पति के याद में वहा “दिग्विजय द्रार” बनवाया।
  • १ दिसम्बर १९९५ के दिन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति “शंकर दयाल शर्माने” सोमनाथ मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया।



सोमनाथ की विशेषता

  • सोमनाथ का कार्यभार “सोमनाथ ट्रष्ट” द्रारा चलाया जाता है जिसे सरकारने जमीन,बाग-बगीचे और वहा काम करने वाले कर्मचारीओ के वेतन नक्की किया है।
  • अभी का सोमनाथ मंदिर “नागर शैली” में बनाया गया है।
  • मंदिर सुभह ६ बजे खुलता है और शाम ९ बजे बंध होता है।
  • सोमनाथ मन्दिर मे सुबह ७ बजे ,दोपर १२ बजे और शाम ७ बजे आरती होती है।
  • सोमनाथ मंदिर के बहार एक स्तंभ पर समुद्र की तरफ तीर लगाया है।वह बताता है की सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बिच कोई भूमि भाग नहीं है।
  • Somnath Sthmbh
  • मंदिर में गैर हिंदु को प्रवेश नहीं मिलता।अगर प्रवेश लेना हो तो योग्य कारन देकर सोमनाथ ट्रष्ट की मंजूरी लेनी पड़ती है।

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Kishan Patel

My Self Kishan Patel. I have done my graduation under computer engineering in 2017. Basically I Professional in Digital Marketing and passioned blogger and YouTuber.

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