History

The Full History Of Chavda Vansh | Biography Of Vanraj Chavda in Hindi

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Written by Kishan Patel

मैत्रक राजवंश के अंत से पहले गुजरात में विभिन्न स्थानों पर विभिन्न राजवंश शुरू हो गए थे।
उदाहरण के लिए …

  1. devbhumi dwarka = सैंधव राजवंश
  2. सुरेंद्रनगर (वढवान) = चाम्प राजवंश
  3. सौराष्ट्र और नवसारी = चालुक्य राजवंश
  4. भिन्नमाल श्रीमाल = गुर्जर प्रतिहार वंश
  5. मान्यखेत = राष्ट्रकूट
  6. पंचासरा = चावडा राजवंश 

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Chavda Vansh(चावड़ा वंश)

(इस ७४६ से इस ९९२ )

 

संस्थापक: जयशिखरि चावड़ा

  • पंचासर (पाटन जिले के पास) Vanraj Chavda के पिता Jayshikhari Chavda का शासन था।
  • इस बीच, किंग “Bhuvad” (चालुक्य राजवंश) कन्नौज में राजा था। जब राजा भुवड़ा ने पंचासर की समृद्धि को महसूस किया, तो उन्होंने अपने दास मिहिर को पंचासर लुटने भेजा।
  • लेकिन जयशिखरि को इसके बारे में पता चल गया और राजा जयशिखरि ने मिहिर से लड़ने के लिए सुरपाद(पत्नी के भाई) को भेजा। और यह लड़ाई सुरपाद जीत लेता है
  • तभी गुस्से में राजा भुवड़ा ने बड़ी सेना के साथ पंचासरा पर हमला किया और लंबे समय तक वह पंचासरा की किल्ले बंधी की।जब जयशिखरि को युद्ध के अलावा कोई भी रास्ता न दिखा, तो उन्होंने अपनी पत्नी रुपसुंदरी को अपने भाई सुरपाद के हाथों में देकर युद्ध में कूद पड़े और लड़ने लड़ते मर गए।
  • अब रानी रूपमती और उनके भाई सुरपाद भागते हुए वन में पहोचे,उन्हें वहा के भील लोगों ने आश्रय दिया, और उस समय जाते रानी रूपमती ने जंगल में एक बच्चे को जन्म दिया और उन्हें “वनराज चावड़ा” नाम दिया।

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vanraj chavda

Vanraj Chavda

  • जब vanraj chavda छोटे थे, तब वानराज चावड़ा और उनकी मां जंगल में सो रहे थे, तभी जैन मुनी “सिलगुनसुरजी” वहां से गुज़र रहे थे और वह वनराज चावड़ा की ओर उंगली करके बोले,“यह बच्चा बड़ा होकर राजा बनेगा और जैन धर्म की मदद करेगा”
  • जैसे जैसे समय जाता है वनराज चावड़ा अपने मामा से युद्ध के नियम सीखता है। इस बीच उनकी मां जयशिखरि और भुवद के युद्ध के बारे में बताती है। और वनराज चावड़ा ने अपना राज्य वापस लेने का फैसला कर लेता है। लेकिन वनराज चावड़ा के पास नातो पैसा था नातो सैन्य था।इशलिये अंत में, वनराज चावड़ा और मामा सुरपाद डाकू बनने का फैसला कर लेते है।
  • दोनों ने डाकू बनकर बहोत सारा पैसा एकत्र किया और उनकी टीम में बहादुर पुरुषों को जोड़ते गए। जिसमें दो महत्वपूर्ण पुरुष थे।




1) अनहिल भरवाड़  2) चांपो वाणियो

उन्हों ने भुवद के साथ लड़ा और अपने पिता के राज्य को वापस ले लिया।युद्ध जीतने के बाद वनराज “पाटन” को अपने वंश की राजधानी बनाता है और अपने मित्र अनहिल भरवाड़ के नाम पर से राजधानी को “अनहिलपुर पाटन” नाम देता है। और पावागढ़ की तलेटी में अपने दूसरे मित्र चंपा वाणिया के नाम परसे “चंपानेर” शहर बसता है।

(चंपानेर गुजरात का पहला शहर है, जिसे 2004 में “विश्व विरासत स्थल” के रूप में स्थान दिया गया है। यह विश्व विरासत स्थल UNESCO द्वारा दी गई है, जिसे पेरिस द्वारा संचालित किया जाता है।)

अब वनराज को सिलगुन सुरजी के शब्द याद आते हैं, इसलिए उन्होंने पाटन में “पंचासर पाश्वनाथ जैन देरासर” बनाया, जिसमें वनराज चावड़ा की मूर्ति रखी गई है।

Yograj

  • योगराज एक धर्मी व्यक्ति था। वह अपने पिता, वनराज चावड़ा के कड़ी मेहनत को समज के अच्छी भूमिका निभाते थे।
  • लेकिन उनका बेटा “क्षेमराज” एक बुरा शासक था।और उसने राजा योगराज के विचारो का सहयोग नहीं किया और उन्होंने भोजन और पानी का त्याग करके अपना जीवन छोड़ दिया।

इस प्रकार कई राजा बन गए, जिसमें सामंत सिंह को अंतिम राजा के रूप में गिना जाता है। सामंत सिंह की बहन का नाम लीलादेवी था। लीलादेवी का विवाह चालुक्य राजवंश के राजा राज से हुआ है, और इस राजा राज और लीलादेवी को एक पुत्र होता है जिसका नाम “मुलराज” रखा। अब मूलराज अपने माता पिता के मृत्यु के बाद मामा समतसिंह के साथ रहता था।और एक दिन मूलराज ने अपने मामा सामंत सिंह को मार डाला और सिंहासन पर बैठे गए। इस प्रकार, चावड़ा राजवंश समाप्त होता है और सोलंकी वंश की शुरुआत होती है।जैसे हम अगले आर्टिकल में पढ़ेंगे।

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Kishan Patel

My Self Kishan Patel. I have done my graduation under computer engineering in 2017. Basically I Professional in Digital Marketing and passioned blogger and YouTuber.

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