How TO Start “Chalukya Dynasty”?
चावड़ा वंश के अंत में हमने देखा कि मुलराज अपने मामा की हत्या करके सिंहासन मिला। अब चलो बात करते हैं कि मुलराज ने अपने मामा को क्यों मार दिया?
जब सामंत सिंह शराब पीते थे तब वो अपना मानसिक संतुलन खो देते थे और सराब के नसे में मुलराज से कहते थे “अब आप पाटन के राजा हैं” और सुबह जैसे ही सराब का असर ख़त्म होता था वो फिर से राजा बन जाते थे। इस प्रकार ऐसी चीज कई बार हुई और एक बार मूलराज को गुस्सा आया और वास्तव में अपनी मामा की हत्या कर दी और सिंहासन पर बैठ गया। इस प्रकार चालुक्य यानि कि सोलंकी वंश की शुरुआत हुए।
“चालुक्य राजवंश” में, 12 राजा शासन करते हैं, और हम हर राजा को गहराई से अध्ययन करेंगे।.
Chalukya Dynasty(Solanki Vansh)
(गुजरात के इतिहास का सुवर्ण काल)
1) Mulraj Solanki (947-997):
- मुलराज सोलंकी के समय सरस्वती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध आध्यात्मिक शहर सिधपुर में रूद्रमहालय का निर्माण शुरू होता है, जो सिद्धराज जयसिह के समय समाप्त होता है।
- मुलराज के समय गुर्जरदेश “गुजरात” के रूप में जाना जाता है।
- अंत में, Mulraj आध्यात्मिक कारणों से मोक्ष प्राप्ति करने के लिया अपने जीवन का अंत करके है।
- मुलराज ने माण्डल में मुडेश्वर महादेव मंदिर, सोमनाथ में त्रिपुषप्रसाद महल और मुलराज वाराहिका जैन मंदिर का निर्माण किया।
2) Chamundraj and his Sons:
- एक बार चामुंडराज काशी की यात्रा में जा रहे हैं, तो “सिंधुराज (मड़वा का राजा)” उन पर हमला करता है और उन्हें अपमानित करता है और उनकी छत और चामर छीनता है।
- इसका बदला लेने के लिए, चामुंडराज का पहला पुत्र “वल्लभराज” सिंधुराज पर हमला करने के लिए जाता है लेकिन चेचक(smallpox) रोग के कारण मौके पर मर जाता है।
- यह चौंकाने वाली घटना से चामुंडराज बहुत दुखी होता है और वह अपने सिंहासन को दूसरे पुत्र “दुर्लभराज” को देकर वह नर्मदा नदी में जलसमाधी ले लेता है।
- दुर्लभराज ने “दुर्लभ तालाब” का निर्माण किया जिसे सिद्धराज के समय में सहस्त्रलिंग तालाब से जाना जाता है। वह अपने भाई वल्लभराज की स्मृति में “मदनशंकर प्रसाद” नामक एक महल का निर्माण करता है। और इस दुर्लभराज के बच्चे नहीं थे इशलिए चामुंडराज के तीसरे बेटे नागराज के बेटे भीमदेव प्रथम को पाटन की गद्दी मिलती है।
3)Bhimdev First (1022-1064)

sun temple modhera
- भीमदेवने मोढेरा में “सूर्यमंदिर” का निर्माण कराया। इस समय सुल्तान “महमूद गज़नी” (अफगानिस्तान देश के सुल्तान) ने भारत पर हमला किया और भीमदेव वहां से बच निकले और अपनी रणनीति तैयार करने के लिए “कंथकोट के डुंगर” (कच्छ) में छिप गए।
- महमूद गजनी ने पहले मोढेरा का सूर्यमंदिर को लूट लिया फिर वाह के प्राचीन लकड़ी के मंदिर को भी नष्ट कर दिया. और उसने Dilwara के मंदिर को भी लूट लिया।
- 7 जनवरी, 1026 को सोमनाथ पर हमला किया गया जिसे बाद में भीमदेव प्रथम ने पत्थर से बनाया था।
- भीमदेव की दो रानियां थीं।
- रानी उदयमती
- बकुलादेवी

Rani ki Vav(patan)
- रानी उदयमती द्वारा पाटन में “Rani ki vav” का निर्माण किया गया था, जो सात माला ग़हरी थी और यह जगह को UNCSO द्रारा विश्व विरासत स्थलों में रखी गई थी।
- भीमदेव प्रथम के मंत्री विमल शाह ने “कुंभारीया डेरा” और “अरासुर के मंदिर” का निर्माण किया। भीमदेव के बाद, उनके बेटे कर्णदेव सोलंकी सिंहासन पर आये।
4) Karndev Solanki (1064-1094):
- कर्णदेव सोलंकी की शादी चंद्रपुर की राजकुमारी “मयनल्लादेवी” से हुई थी,जो शादी के बाद “मिनलदेवी” के नाम से जानी गए ।
- इन दोनों की प्रेम कहानी Bilhana(कश्मीर के कवि) ने अपने उपन्यास “कर्णसुंदरी” में वर्णित की है, जिसे उन्होंने गुजरात दर्शन के दौरान बनाया था।.
- कर्णदेव ने आसावल राजाओं को हरा के “कर्णावती” शहर बसाया जिसे अब “अहमदाबाद” कहा जाता है।

malav talav( dholka)
- मयणलादेवी ने ढोलका में “मालव झील” बनाया और विरामगाम में “मुनसर झील” का निर्माण किया। और यह सिंहासन पर भीमदेव प्रथम के बाद उनका बेटा Siddhraja Jayasimha गद्दी पर आता है।
5) Jayasimha Siddharaja

rudramahalaya(patan)
- सिद्धराज जयसिंह के समय, मुलराज द्वारा शुरू किए गए Rudramahalayas का अधूरा काम पूरा हुआ। और सिद्धराजने उसके आस-पास में “सहस्त्रलिंग झील” का निर्माण किया और इसके चारों ओर 1008 शिवालय बनाए।
- राजा सिद्धारज ने राजा यशोवर्मा(मड़वा के राजा) को हराके ‘अवंतीनाथ‘ का खिताब लिया।
- जब सिद्धराज मदवा में लड़ रहे थे, तब जूनागढ़ के राजा ने पाटन पर हमला किया और उनके मंगेतर राणकदेवी का अपहरण कर लिया।
- इसलिए, जैसे ही सिद्धराज आते हैं, तुरंत जूनागढ़ गए और 12 साल की लड़ाई के बाद, उन्हें रा’खेगर को हराकर “सिद्धचक्रवती” का खिताब लिया।
- लौटते समय, रानकदेवी मनो-मन पति के रूप में रा’खेगर मान लेने के दोस से वह सुरेंद्रनगर के वढवान में सती हो जाते हैं।
- सिद्धराज ने बाबरा नामक राक्षस को हराकर “बर्बरक जिष्णु” का खिताब लिया।
- Hemchandracharya सिद्धराज जयसिह के गुरु थे।
- सिद्धराज जयसिह के सुझाव के साथ, हेमचंद्रचार्य ने “सिद्ध-हेम-सब्दानुशाशन” नामक व्याकरण ग्रंथ की रचना की और सिद्धारज ने “श्रीकर” नामके हाथी पर वह पुस्तक रख कर शोभा यात्रा निकाली और सिद्धाराज स्वयं सड़क पर चल रहे थे।
- सिद्धराज को कोई बेटा नहीं था। इसलिए बुकुला देवी के वंश में से कुमारपाल सिंहासन पर आता है।
6) Kumarpal:
- कुमारपाल को “गुजरात के अशोक” का खिताब मिला है।
- कुमारपाल के समय में हेमचंद्राचार्य राजगुरु बन जाते हैं। कुमारपालने हेमचंद्राचार्य के कहने से जैन धर्म का अंगीकार किया और तारंगा में “अजितनाथ मंदिर” का निर्माण किया।

Ajitnath temple Taranga Hills
- वह जानवर को न मारने का आदेश देता है, और दोहित्र धन के नियम को बदलता है (यदि किसी व्यक्ति के पास बेटा नहीं है, तो उसकी मृत्यु के बाद राजा को सब कुछ दें देना)
- कुमारपाल सुबह सुबह पूजा में नया पटोला पहनते थे, लेकिन उन्हें पता चला कि पटोला का उपयोग किया जाता है, फिर कुमारपाल पटोला के लगभग 600 बुनकर को पाटन लेके आता है।(Note: पटोला की शुरुआत: सिद्धराज जयसिंह)
7) Ajaypal:
- कुमारपाल को जहर देकर अजयपाल सिंहासन पर आया और यहासे सोलंकी राजवंश की गिरावट की शुरुआत होती है।
- अजयपाल 3 साल बाद मर जाता है। और उसका छोटी उम्र का बेटा, “मूलराज दूसरा” सिंहासन पर आता है।लेकिन उनकी मां नायकादेवी द्रारा सारा राजपाट चलता है।
- इस अवधि में, महमूद घोरी हमला करता है।लेकिन नायकादेवी द्रारा बनाई गए योजना के माध्यम से मुलराज दूसरे ने महमूद धोरी को हराया।
- अजयपाल के बाद, भीमदेव दूसरे सिंहासन पर आये।
8) Bhimdev II (1178-1242):
- यह भीमदेव बहुत कमजोर,निर्दोष और अच्छे शासक थे।1198 में मोहम्मद घोरी के दास “कुतुबुद्दीन ऐबक” के हमले पर वह भाग गए।
9) Tribhuvan Pal(1242-1244):
- भीमदेव के बाद सिंहासन पर आता है।
- और यह चालुक्य राजवंश का अंतिम शासक है।
- इस त्रिभुवनपाड की हत्या होती है स्वयं के मंत्री विशलदेव वाघेला के द्रारा।
- और इस तरह एक महान सोलंकी वंश समाप्त होता है और वाघेला काल की शुरुआत होती है।
[…] Mularaj killed his uncle Samant Singh and sat on the throne. Thus, the Chavda dynasty ends and Solanki dynasty […]