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शिशुनाग वंश का इतिहास | Shishunaga Dynasty History in Hindi

शिशुनाग वंश
Written by Kishan Patel

 हर्यक वंश के अंत में हमने देखा की हर्यक वंश के अंतिम राजा नागदशक को मारकर उनका मंत्री “शिशुनाग” मगध की गद्दी पर आता है।और मगध में शिशुनाग वंश की शुरुआत होती है।

शिशुनाग वंश

  • शिशुनाग ने हर्यक वंश के राजाओ की निति को अपनाया और अपना साम्राज्य बढ़ता रहा।
  • अवंति मे कमजोर सासको के आते शिशुनाग ने अवंति पर हमला किया और जित कर अवंति को मगध में मिला दिया।
  • शिशुनाग के बाद उसका पुत्र कालाशोक गद्दी पर आता है।
  • कालाशोक को “काकवर्णीन” भी कहा जाता है।
  • इसने इ.स पूर्वे ३८३ में दूसरी बौद्ध सभा का आयोजन किया जिसमे अध्यक्ष “सर्वकामिनी ऋषि” थे।जिसकी गहराई से बात हमने बौद्ध धर्म में की है।
  • शिशुनाग की रानी और महापद्मनंद के बिच प्यार था।इसलिए एकबार शिशुनाग को बिच मेसे हटाने की लिए शिशुनाग को खंजर मर कर हत्या की।
  • महापद्मनंद शिशुनाग को मारकर मगध की गद्दी पर आता है और नंदवंश की शुरुआत होती है।

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